Kabir Ke Dohe In Hindi PDF: हिंदी में पीडीएफ के साथ उनका अर्थ

Kabir Ke Dohe In Hindi PDF: भारतीय संस्कृति में कवि संत कबीर ने अपने दोहों के माध्यम से समाज को सामाजिक, धार्मिक, एवं दर्शनिक संदेश प्रदान किया। कबीर के दोहे हिंदी भाषा में लिखे गए हैं और इनका महत्व आज भी उच्च है। इन्हें पीडीएफ फॉर्मेट में प्राप्त करके हम उनके दोहों का आनंद ले सकते हैं और उनके अर्थ समझ सकते हैं। इस लेख में, हम “Kabir Ke Dohe In Hindi PDF के साथ उनका अर्थ” सहित देंगे।

Kabir Ke Dohe In Hindi PDF
Kabir Ke Dohe In Hindi PDF

कवि संत कबीर जीवनी और धार्मिक विचारधारा

हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध संत-कवि कबीर भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उनका जन्म सन् 1398 में वाराणसी के पास के काशी नगर में हुआ था। कबीर के जीवन की जानकारी विभिन्न ऐतिहासिक ग्रंथों और कविता-संग्रहों के आधार पर मिलती है। उनके पिता ने उन्हें मुसलमान धर्म के एक उस्ताद के पास शिक्षा के लिए भेज दिया था, लेकिन कबीर धर्म और समाज के विभिन्न पहलुओं के प्रति अपनी जिज्ञासा और उत्साह से भरे थे।

कबीर का धार्मिक विचारधारा समाज में सामाजिक एकता, प्रेम, सद्भावना, और त्याग के सिद्धांतों पर आधारित था। उन्होंने भगवान को अनेक नामों से संबोधित किया और उनके दोहे अद्भुत रूप से अलौकिकता को प्रकट करते हैं। वे मनुष्यों के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार उन्हें अंदर से देखने की भी शिक्षा देते हैं।

Kabir Ke Dohe In Hindi PDF

दोहा 1: “साधु संत जन तोहि न बहुरि जानीये, पाछे पहचान तिनके।काहे रोंक गएँ चरन चिह्न की, तू तोले परे हिनके।।”

इस दोहे में कबीर जी कहते हैं कि सद्गुरु, संत, और ज्ञानी व्यक्ति को देखकर पहचाना जा सकता है, लेकिन अक्सर लोग उनके पीछे के चिन्ह को नहीं समझ पाते हैं। उनके द्वारा दिए गए उपदेश को तूलना करके ही उनकी पहचान हो सकती है।

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दोहा 2: “बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।।”

इस दोहे में कबीर जी बड़े होने की अहमियत को नकारते हैं। उन्हें यह संदेश देना है कि व्यक्ति के बढ़ने से अहम नहीं है, वरन् उसके चरित्र और व्यवहार में परिपूर्णता होनी चाहिए। व्यक्ति के गुणों और कर्मों से ही उसकी पहचान होती है।

दोहा 3: “साधु संत जन तोहि न बहुरि जानीये, पाछे पहचान तिनके।
काहे रोंक गएँ चरन चिह्न की, तू तोले परे हिनके।।”

अर्थ: इस दोहे में कबीर जी कहते हैं कि सद्गुरु, संत, और ज्ञानी व्यक्ति को देखकर पहचाना जा सकता है, लेकिन अक्सर लोग उनके पीछे के चिन्ह को नहीं समझ पाते हैं। उनके द्वारा दिए गए उपदेश को तूलना करके ही उनकी पहचान हो सकती है।

दोहा 4: “जो तुम चाहो वैसा नहीं होगा, जो होगा वैसा तुम चाहोगे।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकारों।।”

अर्थ: इस दोहे में कबीर जी कहते हैं कि जो भी ईच्छा और अभिलाषा आपके मन में है, वह पूरी नहीं होगी। जीवन में होने वाले घटनाओं को स्वीकार करें और प्रेम के धागे को मत तोड़ें।

दोहा 5: “पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।”

अर्थ: इस दोहे में कबीर जी कहते हैं कि जब तक हम पुस्तकें पढ़ते रहते हैं, तब तक जीवन की असलियत से दूर रहते हैं। सच्चा ज्ञान और समझ प्रेम में है, जो कि पढ़े हुए व्यक्ति को पंडित बना देता है।

दोहा 6: “कागज़ कलम न लिखानाव, लेखन चाहों लिख्यो।
बिन देखे पढ़े सब बढ़ा, आँख देखा तो झलक।।”

अर्थ: इस दोहे में कबीर जी कहते हैं कि कागज़ और कलम से लिखने से कुछ नहीं होता है, लेखन में रुचि होनी चाहिए। बिना देखे पढ़ा हुआ व्यक्ति कुछ नहीं होता है, जब आप वस्त्रवाले को देखते हैं, तो उसकी खूबसूरती समझ में आती है।

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ये थे कुछ “कबीर के दोहे” जो हिंदी में लिखे गए हैं और इनका अर्थ समझना आपके लिए महत्वपूर्ण है। इन दोहों के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि कबीर जी ने समाज को कैसे संबोधित किया और सार्थक संदेश प्रदान किया।

Kabir Ke Dohe In Hindi Pdf Download

Book NameKabir Ke Dohe In Hindi
AuthorKabir Das
File TypePdf
Pdf Size0.3 MB
Pdf Pages36

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Kabir Ke Dohe In Hindi PDF: Conclusion

कबीर के दोहे हमारे जीवन के रास्ते को प्रकाशमय बना सकते हैं। उनके दोहों में छिपी महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझकर हम सही मार्ग पर चल सकते हैं और अच्छे और सफल जीवन का आनंद उठा सकते हैं।

FAQs

1. कबीर के दोहे क्यों महत्वपूर्ण हैं?

कबीर के दोहे भारतीय संस्कृति के मूल्यों और धार्मिक ज्ञान को संक्षेप्त रूप में प्रदर्शित करते हैं। उनमें छिपे सामाजिक, नैतिक, और धार्मिक संदेश हमारे जीवन को सरल बनाने में मदद करते हैं।

2. कबीर के दोहे की भाषा कैसी है?

कबीर के दोहे हिंदी भाषा में लिखे गए हैं और उनमें सरलता और संबोधक भाषा का प्रयोग किया गया है। इन्हें समझना और उनका अर्थ निकालना आसान होता है।

3. क्या कबीर के दोहे आज भी प्रासंगिक हैं?

जी हां, कबीर के दोहे आज भी प्रासंगिक हैं। उनमें छिपे संदेश आज के युवा पीढ़ी को भी प्रेरित कर सकते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

4. क्या कबीर के दोहे सभी धर्मों के लोगों के लिए हैं?

जी हां, कबीर के दोहे सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से प्रेरणा स्रोत हैं। उनके संदेश धर्म, जाति, और भाषा के सीमाओं को पार करते हैं और सभी मनुष्यों को सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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5. कहाँ से कबीर के दोहे की पीडीएफ मिल सकती है?

कबीर के दोहे की पीडीएफ को विभिन्न साहित्यिक साइट्स और ई-बुक प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपलब्ध किया गया है। आप उन्हें वहां से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

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